श्रीकृष्ण का कर्म सिद्धांत निर्माण की जननी: प्रो. लाल

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अमृतसर 12 अगस्त(राजिंदर धनिक) – पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने जन्माष्टमी के शुभअवसर पर देशवासियों को मुबारकबाद देते कहा कि श्रीकृष्ण के दर्शन का भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव है। उन्होंने जो संदेश कुरूक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को दिए वह सभी श्रीमद्भगवत गीता में संकलित किए गए। इनमें गीता का सार, कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, दिव्य योग और कई अन्य उच्चकोटि के आदर्शों के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया।
प्रो. लाल ने कहा कि श्री कृष्ण का कर्म योग एक अति श्रेष्ठ सिद्धांत है। क्योंकि कर्म से ही निर्माण होता है, कर्म ही विकास की जननी है, कर्म से ही आत्मविश्वास, आत्मसम्मान, आत्मबल और आत्मनिर्भरता पैदा होती है। कर्म से ही शोर्य, शोभा और स्मृद्धि में वृद्धि होती है। शाश्वत कर्म करने से मानव असंभव से असंभव लक्ष्य को हासिल कर लेता है। सारा ब्रम्हांड कर्म के द्वारा ही रचित किया गया है। कर्म हिनता आलस की तरफ ले जाती है। आलस से मानव पतन की तरफ चला जाता है। आओ आज जन्माष्टमी के पवित्र एवमं शुभअवसर पर हम सब मिलकर यह संकल्प ले कि हम अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम भी करना पड़े तो दृढ़ता से करे। ताकि अपने पुख्ता इरादा से हम मंजिले मकसूद हासिल कर सके। श्री कृष्ण का संदेश किसी भी विशेष जात, साम्प्रदाय या धर्म से नहीं है, बल्कि समूची मानवता के हित एवमं कल्याण के लिए है। क्योंकि कर्म ही पूजनीय है, वंदनीय है और अराधनीय है। इस दौरान जन्माष्टमी पर केक भी काटा गया। इस अवसर पर पार्षद प्रदीप शर्मा, जवाहर पाठक, राजा बरिंदर दयाल सिंह, नवदीप शर्मा, अविनाश टोपी, जनकराज लाली आदि मौजूद थे।

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