नगर निगम के कई आधिकारियों और कर्मचारियों पर मेहरबान नेता और उच्च अधिकारी

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मिलीभुगत के चलते कई सालों से एक कुर्सी पर बैठे अधिकारी और कर्मचारी
काम करने वालों को धक्के, चापलूसों को सम्मान
अमृतसर, 4 अक्तूबर (राजिंदर धानिक)- अमृतसर नगर निगम के कई विभागों के अधिकारी और कर्मचारी अपनी, नेतागीरी के चलते पिछले कई सालों से एक कुर्सी पर डेरे लगा कर बैठे हुए हैं। ऐसे कई अधिकारी और कर्मचारी निगम के लिए बोझ भी साबित होकर टारगेट पूरे करने में असमर्थ हैं। उनसे किसी प्रकार के बिलों टैक्सों की रिकवरी भी नहीं हो रही है। परन्तु दूसरे तरफ़ अपनी, नेतागीरी के चलते उच्च अधिकारी और उन पर मेहरबान होते नज़र आते हैं।
हाथी गेट स्थित आटो वर्कशॉप और अन्य वाहनों में पड़ने वाले तेल,तेल का प्रयोग करने का हिसाब किताब रखने वाला एक कर्मचारी कई सालों से एक कुर्सी पर बैठा हुआ है। वह अपने वाला अधिकारियों के वरदान भी साबित हो रहा है। उस कर्मचारी की तनख़्वाह का हिसाब लगाया जाये उसके उलट कई बारी लाखों के प्रोग्राम करवा देता है झबाल रोड साईड उसकी तरफ से तैयार किया जा रहा मकान भी देखनेयोग है। अपनी नेतागीरी ध्यान में रखते उसकी तरफ से मकान में स्विमिंग पुल तैयार करवा कर बड़े आधिकारियों के शौंक को भी मात दे रहा है। आटो वर्कशाप के तेल के खेल निगम विभाग के चौकसी विभाग की तरफ से यहाँ घाले -माले होने की रिपोर्ट दी जा चुकी है। इस को देखते पूर्व कमिशनर सोनाली गिरी की तरफ से काफ़ी हद तक शिकंजा कसा गया था। मेयर करमजीत सिंह रिंटू ने आटो वरकशाप में गलत तरीको साथ तेल  पर रोकथाम करते हज़ारों लीटर तेल बचाने की बात भी स्वीकृति थी। परन्तु फिर भी वहां कब्ज़ा जमा कर बैठे कर्मचारी को बदली करना मुनासिब नहीं समझा गया।
इसी तरह साल करीब 2007 से इंस्पेक्टर से सुपरीडैंट पदोन्नत  किया गया। सुपरीडैंट पिछले करीब 12 सालों से लगभग एक ही हलके में तैनात है। जब कि इन सालों का रिकार्ड चैक किया जाये तो इस हलके में कभी भी टारगेट पूरा नहीं किया गया। प्राविडेंट फंड विभाग की सुस्त चाल घाले -मालीयो को देखते हुए पूर्व कमिशनर कोमल मित्तल की तरफ से अपनी बदली के कुछ दिन पहले काम कम करने वाले सुपरीडैंट की छंटनी तक भी की गई थी। सुपरीडैंट के हलके भी बदले गए। परन्तु फिर भी कभी भी अपना टारगेट पूरा न करने वाले सुपरीडैंट करीब एक महीनो में नेताओं और उच्च आधिकारियों की मिलीभुगत के चलते हलके में ही तैनात हो गए। आधिकारियों या कर्मचारियों को पता नहीं कौन से काम देख कर सम्मान दिया जा रहा है।
उधर दूसरी तरफ़ देखा जाये  विभाग का एक सैक्ट्री को सकूटनी पर तैनात किया गया। जिसने 20 बिलडिंगों में 60 लाख का फर्क निकाल कर सामने ला दिया है।  क्या निगम के खाते को करोड़ों का चूना लगाए जाने का अनुमान है। परन्तु उस सैक्ट्री को सम्मान देने की जगह सकूटनी से ही बदल दिया जाता है।
इस के इलावा मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर और अलग -अलग कमिशनरो, सहायक कमिशनरो की तरफ से अलग अलग भागों में छापेमारी करके हाज़िरिया चैक की जातीं रही हैं। इन छापेमारियों की दौरान अनेकों अधिकारी और कर्मचारी ग़ैर उपस्थित होते रहे। ड्यूटी दौरान लापरवाही करने और काम करवाने आए लोगों को परेशान करने पर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का कोई ख़ास कार्यवाही होती नहीं देखी गई।
नगर निगम के अलग -अलग विभागों में एक कुर्सी पर पिछले कई सालों से चिपके हुए आधिकारियों और कर्मचारियों के सवाल के जवाब में कमिशनर मलविन्दर सिंह जगी ने कहा कि वह नगर निगम के नैगटिव सवालों का कोई जवाब नहीं देंगे। नगर निगम में बुरे काम कर रहे लोगों में उच्च अधिकारी का ऐसा जवाब कितना कारगार है इसका अंदाज़ा पंजाब सरकार और शहर निवासी ख़ुद लगा सकते हैं।

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