मांगों को लेकर फार्मासिस्टों ने डी.सी. कार्यालय के बाहर दिया धरना, जमकर की नारेबाजी

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जिलाधीश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए फार्मासिस्ट।

मांगे न मानी गई तो संघर्ष को किया जाएगा और तेज़ः फार्मासिस्ट

अमृतसर, 19 जून (पवित्रजोत): सरकार की टाल-मटोल की नीतियों से परेशान फार्मासिस्टों द्वारा स्थानीय जिलाधीश कार्यालय में एकत्र होकर सरकार खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए रोष धरना दिया। जिसके तहत प्रदेश भर में फार्मासिस्टों ने अनिश्चित समय के लिए पूर्ण तौर पर अपनी ड्यूटियों का बाईकाट कर दिया है।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए रुरल फार्मेसी आफिसर एसोसिएशन पंजाब के उप चेयरमैन कमलजीत सिंह चौहान ने कहा कि पंजाब भर में इस समय कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान जहाँ सेहत कर्मचारी अपनी जान को जोखिम में डाल कर निरंतर इस बीमारी का सामना कर रहे हैं वहीं बहुत सी कर्मचारी कैटेगरियां ऐसी हैं जो ठेका आधारित बिना जोब सिक्योरिटी इस महामारी में फ्रंट लाईन पर निविर्घन अपनी सेवाएं निभा रही है, इनमें पंचायती राज अधीन पिछले 14 वर्षों से लेकर ठेके पर फार्मासिस्ट काम कर रहे है। देखने और कहने को फार्मेसी अधिकारी का रुतबा काफी सम्मानजनक लगता है परंतु जब वेतन की बात करें तो एक मजदूर से भी कम सिर्फ 10 हजार रुपया महीना है। दरअसल वर्ष 2006 में प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा पंजाब की ग्रामीण 1186 डिस्पेंसरियों को पंचायत विभाग को ठेके पर दिया था तब से लेकर आज तक 14 वर्ष बीत जाने के बावजूद इन्हें पक्का नहीं किया गया। उन्होने कहा कि इस समय यह कोरोना फार्मासिस्ट कोरोना रिसकी जगहों पर अपनियां ड्यूटियां निभा रहे हैं और पक्की सर्विस ना होने के कारण 24 घंटे परिवारों को चिंता सताती रहती है।
चौहान ने कहा कि पिछले 2 महीनों से पंचायती मंत्री तृप्त सिंह बाजवा द्वारा फार्मासिस्टों के साथ बैठके की जा चुकी है परंतु नतीजा कोई नहीं बस टाल-मटोल करके समय व्यतीत किया जा रहा है। उन्होने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी कहा गया है कि इस कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ रहे सिपाहियों का शोषण नहीं होने दिया जाएगा।
इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आने वाली कैबिनेट में उनकी मांगों का समाधान नहीं किया जाता तो आगामी रणनीति तहत संघर्ष को और तेज़ किया जाएगा।

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