धार्मिक स्थानों में मामूली सी लापरवाही भयंकर रूप धारण कर सकती है: प्रो. लाल

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प्रो. दरबारी लाल।

अमृतसर, 9 जून (आकाशमीत): पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने केंद्र सरकार द्वारा 8 जून को देश के मॉल, मंदिर, रेस्टोरेंट और अन्य धार्मिक स्थानों को खोलने की इजाजत देने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मॉल और रेस्टोरेंट में लोगों को मैनेज करना अति आसान होगा। जबकि पवित्र धार्मिक स्थानों पर श्रद्धालुओं की आने-जाने पर अनुशासनात्मक तरीके से काम करने में अति मुश्किल होगी। धार्मिक स्थान पूजा, अरदास, नामाज और प्रार्थना करने के पवित्र स्थान है। जहां श्रद्धालुओं पर किसी भी तरह का प्रतिबंद्ध लगाना या रोकना न तो मुनासिफ और न ही उचित होगा। कई पवित्र स्थान श्रद्धा के बड़े केंद्र है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होते है। मामूली सी लापरवाही इस महामारी के समय बड़ा भयंकर रूप धारण कर सकती है और लेने के देने पड़ सकते है क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए कोई भी कारगर दवाई निर्मित नहीं हुई है।
प्रो. लाल ने कहा कि धार्मिक स्थान में प्रवेश के समय हर श्रद्धालु पहले प्रवेशद्वार पर नतमस्तक होता है और उस दरवाजे की दहलीज को छू कर माथे पर लगाकर आगे बढ़ता है। इसके बाद अपनी मर्यादा के अनुसार घंटी को बजाता है और फिर पुर्नः पवित्र स्थान की दहलीज पर हाथ लगाता है और आगे चलकर लोहे के जंगले को भी कई बार छू लेता है। इस तरह यदि एक भी कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति का हाथ लग गया तो जो भी पीछे-पीछे आने वाला इसे छू लेगा वह कोरोना संक्रमित होता जाएगा। इस तरह धार्मिक स्थानों पर लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाना सरकार के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नमुनकिन हो जाएगा। क्योंकि पहले ही ढाई लाख से अधिक लोग भारत में कोरोना संक्रमित है और उनकी संख्या बड़ी तीव्रगति से बढ़ती जा रही है।
प्रो. लाल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में बहुत सारे पवित्र मंदिर है, जहां पंजाब, हरियाणा, उतरप्रदेश, उतराखंड और अन्य प्रदेशों से हजारों की संख्या में लोग दर्शनों के लिए जाते है, हिमाचल सरकार ने लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए एक लोकहितैषी फैसला लिया है कि वह स्थिति सामान्य होने तक मंदिर बंद रखेगी। इस तरह वह हिमाचल और अन्य प्रदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं को इस महामारी से सुरक्षित रख सकेगी। प्रो. लाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को विस्तारपूर्वक पत्र लिखकर मांग की कि पवित्र धार्मिक स्थानों को खोलने के फैसले पर पुर्नःविचार किया जाएगा। क्योंकि लोगों को इस भयंकर महामारी के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। क्योंकि श्रद्धालुओं का मुख्य मकसद धार्मिक स्थानों में नतमस्तक होना होता है, न की भीड़भाड़ में सावधानी बरतने की तरफ होता है।

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