धान की फ़सल को युरिया खाद का अधिक प्रयोग कीड़ों और बीमारियाँ को देता है न्योता: मुख्य कृषि अधिकारी

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डा. गुरदयाल सिंह बल मुख्य कृषि अधिकारी

सावन की फसलों की काश्त दौरान किसी प्रकार की समस्या आने की सूरत में कृषि माहिरों के साथ संपर्क करने की अपील

अमृतसर, 3 अगस्त (पवित्रजोत): युरिया खाद की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि युरिया धान की फसल को पाने समय खेत में पानी ना हो और युरिया पाने के बाद तीसरे दिन पानी लगाया जाए। यह विचार डा. गुरदयाल सिंह बल मुख्य कृषि अधिकारी ने डिप्टी कमिश्नर गुरप्रीत सिंह खहरा के दिशा निर्देशों के नेतृत्व में कृषि और किसान भलाई विभाग की तरफ से चलाई जा रही विशेष मुहिम के अंतर्गत गाँवों में किसानों के साथ धान में खादों के प्रयोग बारे जानकारी देते कहा।
उन्होने कहा कि सेहत विभाग, पंजाब सरकार की तरफ से कोविड -19 के फैलाव को रोकने के लिए चलाए जा रहे मिशन फतेह अधीन जारी हिदायतों की पालना की जाए। उन्होने कहा कि भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से परहेज़ किया जाए और यदि ज़रूरी हो तो नाक और मुँह पर मास्क के साथ ढक कर जाया जाए और हाथों की सफ़ाई के लिए समय समय पर सैनेटाईज़र जा साबुन के साथ हाथों को धोआ जाए। उन्होने कहा कि धान की फसल को सिफ़ारिश से ज़्यादा युरिया खाद प्रयोग करने के साथ फसल पर कीड़े और बीमारियों पर ज्यादा हमला करती हैं, इसलिए सिफारशों मुताबिक ही खादें ख़ास कर युरिया का प्रयोग करना चाहिए। उन्होने कहा कि गर्मी पड़ने पर बरसात नाम होने के कारण धान की फ़सल ख़ास कर एच.के.आर 47 किस्म में पीला पन आया है जिसको देखते किसानों की तरफ से युरिया की प्रति एकड़ और ज्यादा प्रयोग की जा रही है। उन्होने कहा कि धान की फसल में और ज्यादा युरिया बरतने के साथ कीड़े और बीमारी के अधिक हमलो की संभावना बनी रहती है। उन्होने कहा कि धान की फ़सल को 90 किलो युरिया प्रति एकड़ का प्रयोग करने की सिफ़ारिश की जाती है। उन्होने कहा कि 90 किलो युरिया को तीन बराबर किश्तों में डालनी चाहिए। उन्होने कहा कि युरिया की दूसरी किश्त लगवाई से 21 और तीसरी किश्त 42 दिन बाद डालनी चाहिए। उन्होने कहा कि यदि पी.आर. 126 किस्म की काश्त की गई है तो तीसरी किश्त 35 दिनों बाद डाल देनी चाहिए।
मुख्य कृषि अधिकारी ने कहा कि कुछ किसान युरिया खाद के साथ पौधों का फुटारा बढ़ाने के लिए दानेदार कीटनाशक पा रहे हैं जो सिर्फ़ और सिर्फ़ खेती लागत खर्च किए बढ़ाने का संयोग बनती है। उन्होने कहा कि लोहे की कमी की पूर्ति के लिए सिफ़ारिश मुताबिक सप्रे करो, ज़मीन के द्वारा लोहा तत्व पाना असरदार नहीं होता।

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