नशे और हथियारों की तस्करी रोकने के लिए केंद्र सरकार सीमावर्ती क्षेत्र में ड्रोन रोकथाम तकनीक लगाए-तिवाड़ी

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पंजाब को कैप्टन अमरिन्दर सिंह जैसे अनुभवी और राजनैतिक समझ रखने वाले नेता की ज़रूरत

श्री दरबार साहिब और दुर्गियाना मंदिर में हुए नतमस्तक

चंडीगढ़/अमृतसर, 21 अगस्त: (पवित्र जोत) : लोक सभा मैंबर, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री मनीष तिवाड़ी ने अमृतसर में प्रैस वार्ता करते हुए पंजाब में सरहद पार से लगातार हो रहे नशे और हथियारों की सप्लाई पर चिंता प्रकट करते हुए केंद्र सरकार से माँग की कि पंजाब की सरहद से ड्रोन के ज़रिये होने वाली इस तस्करी को रोकने के लिए ड्रोन रोकने वाली तकनीक लगाई जाए। उन्होंने बताया कि मैं इस बाबत अपने स्तर पर केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र भी लिख चुका हूँ। अफगानिस्तान में पैदा हुए हलात संबंधी चिंता ज़ाहिर करते हुए श्री तिवाड़ी ने कहा कि तालिबान की वापसी से हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में बैठीं अलगाववादी ताकतों को बड़ा बल मिला है और इसका हमारे सरहदी राज्यों ख़ासकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर को बड़ा नुकसान हो सकता है।

श्री तिवाड़ी ने कहा कि आई.एस.आई. लगातार भारत में अमन-शांति भंग करने की कोशिश कर रही है और पिछले दो सालों से ड्रोन के द्वारा नशे और हथियार आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही हमारी सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में इनकी बरामदगी की है, परन्तु अंदेशा है कि कई ड्रोन अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहे हों।

श्री तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि पंजाब की मौजूदा सरकार ने केंद्र के नकारात्मक रवैया और कोरोना संकट के बावजूद जहाँ पंजाब को आर्थिक तौर पर मज़बूत बनाए रखा, वहीं पंजाब को इस प्राकृतिक आपदा के दौरान संभाला। उन्होंने कहा कि केंद्र ने आर.डी.एफ. और जी.एस.टी. का पैसा रोक कर अपनी पूरी ताकत पंजाब को दबाने में लगाई, परन्तु मुख्यमंत्री के नेतृत्व स्वरूप केंद्र की रुकावटों का कोई प्रभाव पंजाब पर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री संजीदा और अनुभवी हैं और पंजाब को आने वाले चुनावों में ऐसी लीडरशिप की ज़रूरत है, जो पंजाब के मुद्दों की बात करते समय अपनी निजी राजनीति को भी दाव पर लगाने से गुरेज़ न करे। श्री तिवाड़ी ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह में यह सभी खूबियाँ हैं।

गन्ना किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन संबंधी बोलते हुए श्री तिवाड़ी ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने कभी भी गन्ने पर न्युनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया, राज्य सरकारें जो मूल्य गन्ने का जारी करती हैं, वह सिफऱ् मिलों को सलाह तक सीमित हो कर रह जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि केंद्र जैसे बाकी 22 फसलों का न्युनतम समर्थन मूल्य तय करता है, उसी तरह गन्ने का भी मूल्य तय किया जाए। उन्होंने कहा कि हम किसानों के साथ हैं और काले कृषि कानूनों के विरुद्ध भी हमारे संसद सदस्यों ने संकल्प पेश किए हैं, जोकि संसद का काम न चलने के कारण विचारे नहीं जा सके। उन्होंने लोक सभा के स्पीकर से माँग की कि वह विशेष सदन बुलाकर इन संकल्पों पर चर्चा करवाएं। उन्होंने कहा कि जब हमारे पड़ोसी दिल्ली में बड़े-बड़े धनी और रसूखदार लोग ऑक्सीजन के बिना अस्पतालों की पार्किंग में कोरोना के कारण मर रहे थे, उस समय भी पंजाब कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन अपने निवासियों के साथ-साथ बाहर से आए मरीज़ों का इलाज करता रहा है। उन्होंने केंद्र की कोरोना वैक्सीन के वितरण को असफल करार देते हुए कहा कि विरोधी पार्टियों की सरकारों वाले राज्यों को कोरोना की वैक्सीन पूरी मात्रा में नहीं मिल रही, जबकि भाजपा शासित राज्यों में रोज़ाना पूरी मात्रा में कोरोना वैक्सीन आ रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा चयन मनोरथ पत्र में किए गए लगभग सभी वादे पूरे किए हैं और जो एक-दो बाकी हैं, वह भी पूरे किए जाएंगे। उन्होंने आशा अभिव्यक्त की कि आने वाले समय में सरकार और पार्टी एकसाथ मिलकर काम करेंगे और पंजाब में फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी।

बरगाड़ी मुद्दे संबंधी पूछे जाने पर श्री तिवाड़ी ने कहा कि जो जांच अकाली-भाजपा सरकार ने सी.बी.आई. को सौंपी थी और उन्होंने पाँच साल जांच के बाद केस बंद करने की सिफ़ारिश की थी, को कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने फिर खोला और चार्जशीट जारी की। इसी तरह पुलिस गोलीबारी के बारे में हुई पड़ताल एक अधिकारी की गलती के कारण भले ही पटरी से उतर गई थी, परन्तु इसको नई जांच टीम के हवाले किया गया है, जोकि अपनी कार्यवाही कर रहे हैं और जल्द ही इन्साफ मिलेगा।

इस मौके पर विधायक श्री सुनील दत्ती, चेयरमैन पंजाब बड़े उद्योग विकास बोर्ड श्री पवन दीवान, चेयरमैन श्री जुगल किशोर, चेयरमैन श्री राजकंवलप्रीत सिंह लक्की, कांग्रेस नेता श्री संजय कुमार और अन्य नेता उपस्थित थे। इससे  पहले श्री तिवाड़ी श्री दरबार साहिब और श्री दुरग्याना मंदिर में नतमस्तक हुए। वह इस दौरे के दौरान भारत के विभाजन पर बने संग्रहालय में भी गए और करीब एक घंटा बहुत गहराई से इस दर्द भरी दास्तान को पढ़ा।

 

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