चंडीगढ़/अमृतसर: 4 मई ( राजिंदर धानिक ) : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सिख कौम के महान जरनैल महाराजा जस्सा सिंह रामगढ़िया की 298 वीं जयंती पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके जन्मदिवस की सभी को बधाई देते हुए कहाकि जो कौमें अपने महान जरनैलों को याद रखती हैं, वही कौमें जिंदा रहती हैं। उन्होंने कहा कि जस्सा सिंह ने 1783 में कलानौर, कादियां, दीना नगर और जालंधर के दोआबे के इलाकों पर कब्जा करके सिख राज की स्थापना में योगदान डाला। जस्सा सिंह ने अमृतसर में श्री दरबार साहब के नजदीक तीन मंजिला रामगढ़िया बुंगा बनवाया।
अश्वनी शर्मा ने जस्सा सिंह रामगढ़िया की जीवनी पर रौशनी डालते हुए कहाकि उनका जन्म 5 मई 1723 को ननिहाल के गाँव इचोगिल में पिता ज्ञानी भगवान सिंह और माता गंगो के घर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनका पैतृक गाँव तरनतारन जिले में सूरसिंह वाला है। सिख समुदाय के महान जरनैल और रामगढ़िया मिसल के संस्थापक महाराजा जस्सा सिंह के दादा हरदास सिंह ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से अमृतपान किया था। जस्सा के पिता ज्ञानी भगवान सिंह गुरबानी की शिक्षा देते थे। अमृतसर में राम रौणी नामक कच्ची गढ़ी को जस्सा सिंह रामगढ़िया द्वारा पक्का करवाया गया था और इसका नाम ‘रामगढ़’ रखा गया था। उस दिन के बाद से ‘रामगढ़िया’ शब्द जस्सा सिंह के नाम के साथ जुड़ गया। जस्सा सिंह रामगढ़िया ने अपनी बहादुरी, बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता और युद्ध कौशल के साथ इस मिसल को अन्य सभी मिसलों से अधिक शक्तिशाली और समृद्ध बना दिया। वह पहले सिख राजा थे जिन्होंने पर्वतीय राज्यों को जीत कर अपने अधीन किया था।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि जस्सा सिंह ने श्री हरमंदिर साहिब की रक्षा के लिए चार मंजिला रामगढ़िया बुंगा और दो मीनारें बनवाईं जो आज भी मौजूद हैं। सभी सिख बलों ने 11 मार्च, 1783 को दिल्ली के लाल किले में प्रवेश किया और किले पर कब्जा कर लिया। महाराजा जस्सा सिंह रामगढ़िया ने मुगल साम्राज्य के सिंहासन को उखाड़ कर इसे अमृतसर ले आए। महाराजा जस्सा सिंह ने अपनी राजधानी श्री हरगोबिंदपुर साहिब में 80 साल की उम्र में 1803 में कुछ समय बीमार रहने के बाद अंतिम सांस ली। शर्मा ने कहा कि उनका जीवन आज भी हम सभी को प्रेरित करता है। शर्मा ने सभी से उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।