कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में अमरिंदर सिंह का हाल ‘बूहे खड़ी जन्न, विन्नो कुड़ी दे कन्न’ जैसा : अश्वनी शर्मा

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कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में कोरोना मरीजों को संभालने में पूरी तरह विफल : अश्वनी शर्मा

 

अपनी विफलतओ को छुपाने के कैप्टन लगा रहे है आक्सीजन का बहाना : शर्मा

 

अमृतसर/ चंडीगढ़: 27 अप्रैल (  राजिंदर धानिक ), मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मरीजों को संभालने में अपनी विफलता को छुपाने के लिए प्रदेश में आक्सीजन की कमी का राग छेड़ कर जनता का ध्यान भटकाया जा रहा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने आक्सीजन व कोरोना वैक्सीन की जनता को उपलब्धता करवाने में नाकाम हो चुके अमरिंदर सिंह तथा उनकी कांग्रेस सरकार को कड़ा संज्ञान लेते हुए कहाकि पंजाब को पहले रोज़ाना पड़ोसी राज्यों से 90 मीट्रिक टन प्रतिदिन लिक्विड आक्सीजन की आपूर्ति की जाती थी और अब कोरोना की दूसरी लहर में कैप्टन ने केंद्र की मोदी सरकार से 120 मीट्रिक टन प्रतिदिन लिक्विड आक्सीजन की आपूर्ति की माँग की है, जो कि बहुत हास्यस्पद लगती है।

                अश्वनी शर्मा ने कहाकि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तथा उनकी सरकार ने पिछले वर्ष के दौरान कोरोना काल से हुए नुक्सान से सबक नहीं लिया और उसको हल्के में लेने के चलते इस बार दूसरी लहर में राज्य की जनता का जीवन दाँव पर लगा दिया है। कोरोना मरीजों के ईलाज में सबसे बड़ी सहायक आक्सीजन है, जिसकी आपूर्ति करने के लिए अमरिंदर सिंह तथा उनकी सरकार विफल साबित हुई है।

                अश्वनी शर्मा ने कहाकि पंजाब आक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। उन्होंने कहाकि हिमाचल प्रदेश के बद्दी में लगा आक्सीजन प्लांट 120 मीट्रिक टन प्रतिदिन लिक्विड आक्सीजन, हरियाणा के पानीपत में लगा प्लांट 40 मीट्रिक टन प्रतिदिन लिक्विड आक्सीजन, उत्तराखंड के लींडे में लगा आक्सीजन प्लांट 150 मीट्रिक टन प्रतिदिन लिक्विड आक्सीजन व सेलाकुई (देहरादून) में लगा आक्सीजन प्लांट 30 मीट्रिक टन प्रतिदिन लिक्विड आक्सीजन उत्पादित करते हैं। पंजाब को इस समय हिमाचल प्रदेश के बद्दी प्लांट, हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड के लींडे व सेलाकुई (देहरादून) से 90 टन आक्सीजन की सप्लाई मिलती थी। परन्तु कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के चलते इन राज्यों से होने वाली सप्लाई बाधित हुई है। पंजाब की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि लिक्विड आक्सीजन की दोबारा भराई राज्य से बाहर के उत्पादकों द्वारा ही की जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि पंजाब में लिक्विड आक्सीजन की भराई के लिए कोई प्लांट ही नहीं है। अमरिंदर सिंह की पंजाब विरोधी नीतियों के चलते कोई भी निवेशक यहाँ पर इंडस्ट्री लगाने को तैयार नहीं है और जो कुछ राज्य में पहले से चल रही हैं वो भी यहाँ से पलायन कर रही हैं।

                अश्वनी शर्मा ने कहाकि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का तो वो हाल है कि ‘बूहे खड़ी जन्न, विन्नो कुड़ी दे कन्न’ यानि कोरोना मरीज़ मौत की लड़ाई लड़ते हुए कैप्टन के दरवाज़े पर आ खड़े हुए हैं और अमरिंदर सिंह को अब प्रदेश में आक्सीजन प्लांट लगाने की कमी नजर आ रही है। पिछले पाँच साल से अमरिंदर सिंह कहाँ सोए हुए थे? जब पिछले वर्ष कोरोना ने पूरे विश्व में हाहाकर मचाया तब अमरिंदर सिंह को क्यूँ कुछ दिखाई या सुनाई नहीं दिया?

अश्वनी शर्मा ने कहाकि आक्सीजन की कमी को देखते हुए राज्य की कांग्रेस सरकार ने इंडस्ट्री को दी जाने वाली आक्सीजन पर भी कट लगा दिया है। अब उन्हें जरूरत के अनुसार पहले के मुकाबले 50 फीसद आक्सीजन ही दी जा रही है, जिससे ये सभी उद्योग बंद होने की कगार पर आ खड़े हुए हैं। शेष सारी आक्सीजन मेडिकल कालेजों व अस्पतालों को शिफ्ट कर दी गई है, ताकि आक्सीजन की कमी के कारण किसी मरीज की जान न जाए। शर्मा ने कहाकि अगर अमरिंदर सिंह की आँखे पहले खुली होती और उन्होंने राज्य में आक्सीजन प्लांट लगवाए होते तो आज यह नौबत ही नहीं आती।

अश्वनी शर्मा ने कहाकि केंद्र की मोदी सरकार देश के हर राज्य में आक्सीजन तथा दवाईयों को पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए प्रधानमन्त्री नरेंदर मोदी ने सेना तथा रेलवे को भी जनता की मदद के लिए मैदान में उतारा है। मोदी की विदेशों में लोकप्रियता के चलते अमेरिका व अन्य देशों ने भी भारत को आक्सीजन तथा कोरोना वैक्सीन के लिए कच्चा माल देना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में पहले की तरह इस बार भी कोरोना की दूसरी लहर से लड़ कर हम सब जीत हासिल करेंगे।

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