गौ-मू़त्र और गोबर का इस्तेमाल कोरोना उपचार का वैज्ञानिक आधार नहीं: प्रो. लाल

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अमृतसर 19 मई (पवित्र जोत) : पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर द्वारा कोरोना के ईलाज के लिए गौमूत्र के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि गौमूत्र का कोरोना उपचार का वैज्ञानिक आधार नहीं हैं और इसके इस्तेमाल से आज तक देश में कोई भी कोरोना रोग से संक्रमित रोगी ठीक नहीं हुआ है ना ही देश के डाक्टर इसके इस्तेमाल की इजाजत देते है। पिछले वर्ष भी कोरोना के फैलने पर कई अंधविश्वासियांे और अंध भक्तो ने कोरोना ईलाज के लिए गौमूत्र को पीना, गोबर खाना और शरीर पर गौबर मलना शुरू कर दिया था। जो पूरी तरह से गलत ही नहीं था बल्कि मानव शरीर के लिए नुकसानदायक सिद्ध हुआ।
प्रो. लाल ने कहा कि जादू, टोने, टोटके, धागे, तावीज और अन्य अवैज्ञानिक तरीके का कोरोना के लिए इस्तेमाल ना मुनासिब है और ना ही उचित है बीमारी के ईलाज के लिए दवा की जरुरत होतीं है, न की इन टोटकों की। इन चीजों के इस्तेमाल से सैकड़ों लोग अपनी कीमती जाने गवा बैठे हैं। जिससे देश का भारी नुकसान हुआ है। अंधविश्वासो को दूर करने के लिए भारत के समाज सुधारक लगातार कोशिश करते रहे है। क्योकि अंधविश्वास  प्रगतिशील समाज के रास्ते में बहुत बडी रुकावट है और तर्कशील सोसायटियां भी इस अवैज्ञानिक तरीके के खिलाफ है। यह सती प्रथा की तरह एक गौर सामाजिक कुरीति है। जिसे सख्त कानून के द्वारा समाप्त किया गया था।
प्रो. लाल ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि गौमूत्र सिद्धांत का वैज्ञानिक आधार बताए। अगर यह ईलाज ठीक है तो फिर केंद्र सरकार इसे सारे देश में वैक्सीन की बजाय इसे शुरू करवाए। अगर यह वैज्ञानिक आधार पर ठीक नहीं है तो इसे तुरंत बंद करवाए, ताकि लोग वैक्सीन लगवाकर अपने आप को सुरक्षित रख सके। प्रो. लाल ने लोगों से अनुरोध किया कि है कि वह जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवाए, ताकि वह खुद सुरक्षित रहे और परिवार को भी सुरक्षित रख सके।

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