श्री गुरु तेग़ बहादुर साहब के 400 साला प्रकाश पर्व मौके सोने और चाँदी के सिक्के तैयार किये जाएंगे – बीबी जगीर कौर

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अमृतसर, 13 फरवरी – (पवित्र जोत) : नौवें गुरु श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के 400 साला प्रकाश पर्व को समर्पित शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की तरफ से सोने और चाँदी के यादगारी सिक्के तैयार करवाए जाएंगे, जिससे इस ऐतिहासिक शताब्दी दिन की याद संगतें काफी समय तक संभाल कर रख सकें। यह ऐलान शिरोमणी समिति के प्रधान बीबी जगीर कौर ने 400 साला प्रकाश पर्व सम्बन्धित आरंभ की गई सैमीनारों की लड़ी के अंतर्गत यहाँ त्रे-शताब्दी गुरू गोबिन्द सिंह ख़ालसा कालेज में करवाए गए पहले सैमीनार में सम्मिलन करने समय किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हज़ूरी अंदर संगती रूप में हुए सैमीनार दौरान संबोधन करते बीबी जगीर कौर ने कहा कि शताब्दी को समर्पित देश अंदर अलग -अलग 10 सैमीनार करवाए जाएंगे । उन्होंने कहा कि गुरू साहिब की बलि ने देश के सभ्याचार को ज़िंदा रखने के लिए प्रकटित मिसाल कायम की और इस बात को स्थापित किया कि किसी का भी धर्म जबरन तबदील करना एक बड़ा गुनाह है। उन्होंने देश दुनिया की संगत से अपील की कि गुरू साहिब जी के 400 साला प्रकाश पर्व को समर्पित अपने बच्चों को सिक्ख धर्म इतिहास के साथ जोड़ने के लिए अधिक से अधिक यत्न किये जाएँ।
सैमीनार दौरान मुख्य भाषण पेश करते प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने कहा कि श्री गुरु तेग़ बहादुर साहब जी की शहादत धर्म की कदरों -कीमतों को जीवित रखने के लिए बड़े महत्व वाली है। उन्होंने कहा कि गुरू साहब जी के जीवन और उन की पवित्र गुरबानी से संसार के लोगों को बेहतर जीवन जीने की युक्ति समझ आती है।

इस मौके गुरू साहिब जी की विचारधारा सम्बन्धित बताते हुए डा. धर्म सिंह ने कहा कि गुरू साहिब की वाणी ब्रह्मांडीय सरोकारें को अपने कलावे में लेती है और जीओ और जीने दो के विचार को प्रस्तुत करती है। न डरना और न ही डराना का विचार गुरू साहिब जी की वाणी का हासिल है। इस के इलावा डायरैक्टर शिक्षा डा. तेजिन्दर कौर धालीवाल, प्रो. रवीन्द्र कौर और भाई मनजोध सिंह ने भी अपने पर्चे पेश किये। इस से पहले आरंभता समय कालेज के प्रिंसिपल डा. गगनदीप सिंह ने आईं शख़्सियतों का स्वागत किया। इस मौके शिरोमणी समिति प्रधान बीबी जगीर कौर समेत प्रमुख शख़्सियतों को सम्मानित भी किया गया।
सैमीनार समय शिरोमणी समिति के सीनियर उप प्रधान सुरजीत सिंह भिट्टेवड्ड, मैंबर भाई मनजीत सिंह भूराकोहना, भाई रजिन्दर सिंह मेहता, गुरमीत सिंह , हरजाप सिंह सुलतानविंड, भाई अजायब सिंह अभ्यासी, आदि मौजूद थे।

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