आज विश्व एड्स दिवस पर विशेष
अमृतसर 30 नवंबर (पवित्र जोत) : मौजूदा समय’में एडज़ एक नामुराद बीमारी है। एडज़ का नाम सुनते ही आम मानव का दिल काँप जाता है। इस बीमारी बारे आम तौर पर माना जाता है कि विशव भर में एडज़ की बीमारी साल 1981 दौरान अमरीकन मुल्कों से शुरू हुई थी। यह बीमारी यहाँ तक बढ़ गई कि अब तो स्विजरलैंड जैसे मुल्कों के अस्पतालों में कोई 80 प्रतिशत बिस्तरे एडज़ के मरीज़ों के साथ भरे पड़े हैं। इस तरह अफ्रीका के स्कूली बच्चों और अध्यापकों की होंद के लिए यह बीमारी चिंता का विषे बनी हुई है। भारत में इस मनहूस बीमारी का पहला केस 1986 दौरान चेनई में सामने आया थी। अब पंजाब में कोई 60 से 70 हज़ार के करीब लोग इस बीमारी से प्रभावित हो गए हैं lएडज़ सम्बन्धित जागरूकता पैदा करने और इस को ख़त्म करने के लिए संसार भर में सन 1988 से हर पहली दिसंबर को विशव एडज़ दिवस मनाया जाता है। इस सम्बन्धित बातचीत करते प्रसिद्ध खेल संस्था सरहद -ए -पंजाब स्पोर्टस क्लब और समाज भलाई सोसायटी अमृतसर के प्रधान गुरिन्दर सिंह मट्टू (इंडिया बुक्क रिकार्ड होल्डर और प्रसिद्ध समाज सेवक) ने कहा कि एडज़ एक भयानक बीमारी है। संसार भर में एडज़ का कोई इलाज नहीं है। यह बीमारी मानवीय होंद के लिए ही बड़ा ख़तरा है। इस पवित्र धरती पर नैतिकता, अमन और शांति का प्रचार और प्रसार करते एडज़ ख़त्म करने का लक्ष्य निश्चित करें। आखिर में प्रधान मट्टू ने कहा कि एडज़ प्रति जागरूक करने के लिए रैलियाँ और सैमीनार करने चाहिएं है। उन्होंने आख़िर में कहा हमारा क्लब इस बीमारी ख़िलाफ़ जागरूक करने के लिए जल्दी ही रैलियाँ और सैमीनार करेगा।