अमृतसर 3 नवंबर (राजिंदर धानिक) : पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर एवमं भारतीय संस्कृति के ज्ञाता प्रो. दरबारी लाल ने करवाचैथ के शुभ त्योहार के महत्व पर प्रकाश डालते कहा कि यह त्योहार भारत की प्राचीन संस्कृति में विशेष और अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है। क्यांेकि इस दिन भारतीय नारी अपने पति के स्वास्थ्य, लंबी आयु और खुशहाली की ईश्वर से प्रार्थना करती है। क्योंकि परिवार पति की तंदरूस्ती और पर्यापत साधनों पर निर्भर करता है। पति को परमेश्वर के रूप में मानना, उसका सम्मान करना ओर उसकी लंबी आयु की प्रार्थना करना यह केवल भारतीय संस्कृति में मिलता हैं। भारत के इतिहास में हजारों वर्षों से महिलाओं के योगदान की प्रशंसा की जाती रही है। यहां तक प्राचीन पवित्र वेदों के कई श्लोक महिलाओं द्वारा रचित किए गए है और युद्ध के मैदान में भी उनका योगदान बड़ा सराहनीय रहा है। हकीकत में भारतीय नारी पूजनीय, वंदनीय, नमनीय और महान है। यह त्योहार हजारों वर्षों से उतरी भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। परंतु सिनेमाजगत ने इसे समूचे भारत का त्योहार बना दिया।
प्रो. लाल ने कहा कि भारतीय नारी धैर्य, सहनशीलता, सहयोग, करूणा और प्यार की महान देवी है। जिसकी कर्मभूमि विवाह के बाद अपने परिवार का पालन पोषण, बच्चों को अच्छे संस्कार देने, उन्हें शिक्षित करवाने और एक अच्छे नागरिक के तौर पर बनाने की जिम्मेदारी भी होती है। यद्यपि वर्तमान युग में महिलाआंे को घर से बाहर भी कार्य करने के अवसर मिल रहे है, तथापि वह अपनी परिवारिक जिम्मेदारियों को बड़े ही खूबसूरत तरीके से सरअंजाम दे रही है। अपने पति की लंबी आयु के लिए सुबह से लेकर रात तक बिना भोजन और बिना पानी के एक तपस्वनी की तरह दिन बसर करना यह श्रेय केवल उसी को ही जाता है। पुरूष प्रदान समाज में पुरूषों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह धर्मपत्नी को हर तरह से सुरक्षित रखे। उसका मान सम्मान, परिवारिक परंपराए और मर्यादा को बनाए रखे ओर परिवार की हर आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोई भी कोर कसर न छोड़े।
प्रो. लाल ने कहा कि यद्यपि सारे त्योहार और उत्सवों का संबंध अर्थव्यवस्था से बंदा हुआ है, परंतु करवाचैथ के त्योहार पर करोड़ों रूप्यों की खरीददारी होती है और यह त्योहार त्योहारों का सरताज है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को शक्ति मिलती है। प्रो. लाल ने केंद्र सरकार से अनुरोध करते कहा कि करवाचैथ को राष्ट्रीय त्योहार मान कर इस दिन छुट्टी घोषित की जाए। ताकि महिलाएं इस त्योहार की शोभा को बढ़ा सके।