धान की फसल का उचित प्रबंधन कर रहे किसान गुरमीत सिंह : अमनप्रीत सिंह

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अमृतसर,11 अक्टूबर (राजिंदर धानिक) : जहां कुछ किसान पैसे की खातिर अपने खेतों में पराली जला रहे हैं और पंजाब की आबोहवा को प्रदूषित कर रहे हैं, वहीं प्रगतिशील किसानों ने अपने खेतों में पराली को बिना फैलाए जलाना शुरू कर दिया है। भूमि की उर्वरता बढ़ाना और अन्य किसानों के लिए मार्ग प्रशस्त करना। इन विचारों को व्यक्त करते हुए अमनप्रीत सिंह कृषि अधिकारी ने कहा कि गुरमीत सिंह ब्लॉक मजीठा, जो कि गाँव ढाडे के किसान हैं, जिन्होंने पिछले 3 वर्षों से 50 एकड़ में भूसे में आग नहीं लगाई है और एसएमएस के साथ धान की कटाई करके रोटावेटर को सुपरसाइडर्स के फरो के साथ कवर किया जाता है और पूरी जमीन को गिरवी रखा जाता है। इस तरह यह पूरी तरह से गेहूं तक पच जाता है। ऐसा करने से हमारी उपज में बहुत वृद्धि हुई है और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आई है।

पहले वे प्रति एकड़ यूरिया के तीन बैग लगाते थे, अब वे प्रति एकड़ एक और आधा बैग लगा रहे हैं और कम उर्वरक आवेदन के बावजूद गेहूं की उपज बढ़ रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे जलाने के बजाय मिट्टी में पराली मिलाएं और अधिक कमाएं। उन्होंने कहा कि उचित तरीके से पराली की खेती करके यह प्रगतिशील किसान न केवल पर्यावरण का ध्यान रखता है, बल्कि अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सब्जियों की खेती भी करता है। और समय-समय पर कृषि विभाग का संरक्षण भी करता है उन्होंने कहा कि पिछले साल उन्होंने पराली में आग लगाए बिना बोए गए गेहूं से अच्छी पैदावार प्राप्त की और अपनी भूमि की उर्वरता को भी बढ़ाया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी किसान गुरमीत सिंह बिना आग लगाए गेहूं की बुवाई कर गाँव में एक मिसाल कायम करने के लिए तैयार थे और साथ ही अपने गाँव के किसानों को बिना आग लगाए पुआल बोने के लिए प्रेरित किया।

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