चंडीगढ़, 23 जून: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवन घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चितम्बरम द्वारा दिए गए ब्यान पर पलटवार करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह तथा पी. चितम्बरम दोनों उस कांग्रेस पार्टी से हैं, जिसने भारत का 43 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीन के सामने घुटने टेक कर समझौता करते हुए दे दिया था। अश्वनी शर्मा ने कहा कि अब देश की कमान एक ऐसे दृढ़ संकल्प व सटीक निर्णय लेने वाले नेता प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के हाथ है जो किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सक्षम है। इसकी अभी ताजा मिसाल यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लद्धाख क्षेत्र में चीन से निपटने के लिए जहाँ सेना को पूरी तरह स्वतंत्र तौर पर हथियारों के इस्तेमाल करने की पॉवर दे दी है, वहीँ चीनी सेना की किसी भी हिमाकत से निपटने के लिए थल व वायु सेना को चीन के साथ लगती सीमा के साथ-साथ तैनात कर दिया है।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि मनमोहन सिंह द्वारा लद्दाख पर की गई टिप्पणी तथा पी. चितम्बरम द्वारा भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ का होना माने जाना इस बात का सबूत है कि कांग्रेसी हमेशा झूठ बोल कर जनता को गुमराह करते रहे हैं। शर्मा ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस पार्टी व उसके शीर्ष नेताओं के रवैये और उनकी करनी को देखते हुए देश का कोई भी नागरिक इस तरह के ब्यान पर विश्वास नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि, ‘यह दोनों उसी कांग्रेस पार्टी का हिस्सा हैं, जिसने हमेशा भारत की एकता व अखंडता को दांव पर लगा कर देशवासियों की परवाह किये बगैर हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल तोड़ा है। आज भारत के समस्त नागरिक प्रधानमंत्री मोदी पर पूरी तरह से विश्वास करते है और उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहे हैं।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि यूपीए शासन के दौरान बिना लड़े हुए भारतीय क्षेत्र को केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा चीन के सामने सरेंडर करते हुए देखा है। अब समय आ चुका है कि हम अपने जवानों पर विश्वास करें। डॉ. मनमोहन सिंह व पी. चितम्बरम को देश के मान-सम्मान के विरुद्ध ब्यान देते हुए शर्म आनी चाहिए। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने तो देश के भूगोलिक नक्शे को ही बदल कर रख दिया है।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान को लेकर कहा था कि मोदी को अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामरिक हितों पर पड़ने वाले अपने शब्दों के प्रभाव को लेकर बहुत ज्यादा सावधान रहना चाहिए।
पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति एवं मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता तथा यह सुनिश्चित होना चाहिए कि 20 भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।