अमृतसर 26 दिसंबर (पवित्र जोत) : पंजाब सुबारडीनेट सर्विसिज फेडरेशन और दी क्लास फोरथ गवर्नमैंट एंपलाईज़ यूनियन पंजाब की तरफ से सांझे तौर पर बाबा नानक जी की तरफ से खेती करते का “किसान संघर्षों को समर्पित साल 2021 के लिए बड़ा कैलंडर जत्थेबंदी के ज़िला दफ़्तर से राज्य प्रधान दर्शन सिंह लुबाना के नेतृत्व में मीटिंग के बाद जारी किया, इस मौके स्टेट समिति के फ़ैसलों अनुसार कोविड—19 की महामारी समय मरे व्यक्तियों को श्रद्धा के फूल भेंट किये गए और किसानां—मजदूरों के संघर्ष का मुलाजिमों की तरफ से जा रही हिमायत और संघर्ष मोर्चे लगातार शामिल होने का अहद किया गया और संघर्षों दौरान शहीद हुए किसानों और मज़दूरों को “शहीद हुए किसान—मजदूर अमर रहने के नारे भी मीटिंग दौरान लगाऐ गए और मौन रख कर श्रद्धाँजलि भेंट की गई।
मुलाजिमों के राज्य प्रधान दर्शन सिंह लुबाना ने प्रैस नोट जारी करके कहा है कि साल 2020 भी खत्म होने वाला है परंतु इस साल दौरान केंद्र सरकार ने मुलाजम—मजदूर विरोधी अनेका फ़ैसले किये हैं, वहाँ ही पंजाब सरकार ने भी वायदा करके कि छटे वेतन कमीशन की रिपोर्ट दिसंबर में प्राप्त करके मुलाजिमों और पैनशनरों और लागू की जायेगी, डी.ए. दिया जायेगा, 2004 की बंद की पैंशन बहाल की जायेगी, घर घर नौकरी दी जायेगी, डी.ए. के डेढ़ सो महीनों का बकाया दिया जायेगा, कंट्रैक्ट, आउटसोर्स, डेलीवेजिज़ और पार्ट टायम कर्मी पके किये जाएंगे, माननीय सुप्रीम कोर्ट का “बराबर—कंम—बराबर तनख़्वाह देने का 2016 का फ़ैसला लागू किया जायेगा, विभागों का पुनर्गठन नहीं किया जायेगा, केंद्रीय तनख़्वाह स्केल नहीं लागू किये जाएंगे और ठेकेदारी प्रथा ख़त्म की जायेगी। परंतु सरकार के झूठे वायदों का यह साल भी कोविड—19 की महामारी की दीवार में समाप्त हो रहा है। परंतु मुलाजिमों समेत समाज के किसी भी वर्ग को कोई राहत नहीं मिली सभी लोग मुख्य मंत्री वित्त मंत्री और अलग अलग विभागों के मंत्रियों ने विभागीय माँगों और इस साल कोई भी असरदार कार्यवाही नहीं कर सके और यह साल भी इनकी तरफ से रखे ठेकेदारों, द्वारा लूट छीन में ही गुज़र रहा है। उन्होंने कहा कि 6जनवरी को सभी ज़िला सदर स्थानों और रैलियाँ करके अपना रोष चढ़ते साल में प्रगताएंगे। इस मौके पर जो प्रमुख नेता शामिल थे दर्शन सिंह लुबाना, जगमोहन सिंह नोलक्खा, सुखविन्दर सिंह, माधो लाल, राम किशन, राम प्रसाद सहोता, सूरज पाल यादव, राम लाल रामा, गुरदर्शन सिंह, प्रीतम चंद ठाकुर, काका सिंह, अनिल कुमार, सुभाष, बलविन्दर सिंह बब्बू, जोगिन्द्र सिंह, अमरनाथ नारड़ू, प्रकाश सिंह लुबाना, सतिनरायण गोनी, कुलवंत सिंह, चरनजीत सिंह आदि उपस्थित थे।