गुरु नगरी में होटल इंडस्ट्री का बुरा हाल, इनकम बंद खर्चे बरकरार

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चेयरमैन हरविंदर सिंह से खास बातचीत

करोना महामारी और किसानी संघर्ष के चलते कारोबार हुआ था : हरिंदर सिंह
अमृतसर 2 अप्रैल (पवित्र जोत) : इतिहासिक गुरु नगरी अमृतसर में देश विदेशियों के टूरिस्ट की आमद कम होने के साथ होटल इंडस्ट्री के साथ जुड़े लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। करोना महामारी और किसान संघर्ष को लेकर करीब 1 साल से होटल मालिक अपनी जेब से खर्चे पूरे कर रहे हैं। इस संबंधी फेडरेशन ऑफ़ होटल एंड गेस्ट हाउस के चेयरमैन हरिंदर सिंह ने खास बातचीत करते बताया कि अमृतसर में होटल का कारोबार ना के बराबर चल रहा है । अगर ऐसे ही रहा तो किसानों की तरह होटल वालों को भी खुद खुशियां करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है । करोना महामारी और किसानी संघर्ष के चलते देश विदेशों से आने वाले टूरिस्ट गुरु नगरी में दिखाई नहीं आ रहे हैं। वॉलसिटी के अंदर करीब 500 और पूरे शहर में करीब 1000 होटल हैं होटलों से संबंधित अलग-अलग छोटे व्यापार के करीब 500000 लोग जुड़े हुए हैं होटलों का कामकाज ठप होने के कारण बाकी छोटे व्यापार भी चौपट हो रहे हैं। होटलों के खर्चे बरकरार हैं लेकिन इनकम के साधन बंद हो चुके हैं। बिजली सीवरेज वाटर सप्लाई और बाकी टैक्सों का भुगतान किया जा रहा है होटलों के अंदर काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन और रोजी-रोटी का इंतजाम भी करना पड़ रहा है।

हरिंदर सिंह ने पंजाब सरकार सहित अमृतसर से जुड़े कैबिनेट मंत्री और विधायकों को अपील करते कहा कि कारोबार ठप होने के कारण कई होटलों के बिजली के बिल 45 लाख के करीब आए हैं होटल मालिकों को सरकार द्वारा राहत पैकेज दिया जाए कुछ बिल माफ किए जाएं या जुर्माने ना लगाए जाएं व्यापारियों द्वारा लिए गए कर्ज में भी राहत दी जाए। पंजाब के इलावा हिमाचल उत्तराखंड और अन्य कई स्टेट में कारोबारियों को राहत पैकेज दिए गए हैं पंजाब सरकार भी व्यापार और विभाग से संबंधित लोगों का ध्यान रखते हुए आगे आए। अमृतसर में सरकारों की लापरवाही के चलते कई यूनिट बंद हो चुके हैं जिसके साथ हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं सिर्फ बाकी बची होटल इंडस्ट्री को उजड़ने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि पिछले गठबंधन सरकार व्यापारियों की बातचीत सुनती थी लेकिन कांग्रेस सरकार के दौरान की जा रही सभी अपीले बेकार साबित हो हो रही है।

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