भोग पर विशेष

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जत्थेदार कुलवंत सिंह ढोट का जन्म सरदारनी महिंद्र कौर और पिता सरदार महेंद्र सिंह  ढोट के  ग्रह में 26 जून 1957 को हुआ। बचपन से ही कुलवंत सिंह ने परिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ धर्म से संबंधित सियासी सर गर्मियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था और भाई रजिंदर सिंह मेहता की अगवाई में सिख स्टूडेंट फेडरेशन के साथ जुड़कर पंथ की सेवा शुरू की। इस दौरान इन्होंने संत जरनैल सिंह जी पिंडरा वाला के साथ भी रहे। इन्होंने लंबा समय सिख स्टूडेंट फेडरेशन मेहता के जिला अमृतसर के प्रधान के रूप में भी सेवा निभाई और पंथ की चढ़दी कला के लिए दिन रात काम किया। इसके अलावा जत्थेदार कुलवंत सिंह ने फेडरेशन के राष्ट्रीय सीनियर उपप्रधान और शिरोमणि अकाली दल के जिला अमृतसर के सीनियर उप प्रधान के तौर पर भी सेवा निभाई और बहुत मुश्किल समय भी पंथ व पार्टी की चढ़दी कला के लिए लगाई गई हर सेवा तनदेही के साथ निभाई। जत्थेदार कुलवंत सिंह का विवाह 16 जुलाई 1977 को बीबी सुरिंदर कौर के साथ हुआ इनके दो बेटे अमरबीर सिंह ढोट कुलविंदर सिंह ढोट व एक बेटी मनप्रीत कौर है। अपने पिता के दिखाए रास्ते पर चलते बच्चों द्वारा पंथ की निरंतर सेवा की जा रही है। बड़े बेटे अमरबीर सिंह सिख स्टूडेंट फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रधान के तौर पर सिख कौम की सेवा कर रहे हैं इसके अलावा अमरबीर सिंह वार्ड नंबर 40 से शिरोमणि अकाली दल की टिकट से चुनाव लड़ कर पार्षद के चुनाव भी जीते व 40 साल के लंबे समय के बाद इस वार्ड से सीट जीतकर अकाली दल की झोली डाली और पार्टी की नीतियों पर चलकर इलाके की भरपूर सेवा की। ढोट परिवार की दमदमी टकसाल के मुखी संत ज्ञानी हरनाम सिंह जी खालसा पिंडरा वाले और बाबा जोरा सिंह जी नानकसर ठाठ बदनि कला के साथ करीबी संबंध है और समूह परिवार द्वारा सामाजिक व धार्मिक कार्यों में गहरी रूचि दिखाई जाती है।

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