दागा, कपड़ा, परिदान और जूतों पर जीएसटी 12 से 5 प्रतिशत की जाए: प्रो. लाल
अमृतसर 22 नवंबर (राजिंदर धानिक) : पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने कहा कि पिछले दिनों जीएसटी की बैठक में फाइबर दागा, कपडा, परिदान और जूतों पर जीएसटी में तबदीली करके व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए नई परेशानी पैदा कर दी है। क्योंकि पहले तो कोरोना के कारण इस वर्ग को भारी भरकम नुकसान हुआ है और कईयों के दिवाले ही निकल गए है। दूसरी तरफ सरकार ने व्यापारियों और उद्योगपतियों को राहत देने की बजाए जरूरत से ज्यादा जीएसटी लगाकर इनकी कमर ही तोड़ दी है। यही वर्ग सबसे ज्यादा टैक्स अदा करता है। जिससे सरकार अपनी परियोजनाओं को अमली जामा पहनाती हैै। परंतु आर्श्च की बात यह है कि सरकार ने आर्थिक संकट के बावजूद इस वर्ग की कोई सहायता नहीं की। जबकि इस असंगठित क्षेत्र में करोड़ों की संख्या में लोग काम करते है। ऑनलाइन वस्तुएं खरीदने से दुकानदारों की आमदन भी दिन प्रति दिन कम हो रही है।
प्रो. लाल ने कहा कि जीएसटी शुरू से ही पचीदगियों से भरी हुई है। इसमें छोटे से छोटे दुकानदार को भी अनावश्यक परेशानी तथा वक्त बर्बादी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि जीएसटी के कागजात भरना ही एक अति कठिन कार्य है। जिसे सरल से सरल बनाने पर व्यापारी प्रफुल्लित होगा और सरकार की आमदन में भी इजाफा होगा। सरकार का फाइबर, दागा, कपड़ा, परिदान और जूतों पर जीएसटी को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना व्यापारियों और उद्योगपतियों पर वजृपात ही नहीं बल्कि ग्राहकों की जेब पर भी जबरदस्त डाका है। जिन वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाई गई है यह हर नागरिक के लिए अति आवश्यक है और रोजमर्रा की चीजों पर इस्तेमाल की जाती है। अधिक जीएसटी के लगाए जाने से सबको परेशानी को सामना करना पड़ेगा।
प्रो. लाल ने वितमंत्री श्रीमती सीतारमन को एक विस्तारपूर्वक पत्र लिखकर मांग की कि जीएसटी को अति सरल और आसान बनाया जाए और जिन वस्तुओं पर जीएसटी 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की गई है इस पर पुर्नःविचार करके जीएसटी 5 प्रतिशत की जाए। ताकि व्यापारी और उद्योगपति सुख की सांस ले सके और आम नागरिक भी परेशानी से बच सके। यह एक हकीकत है कि कम टैक्स लगाने से सरकार की आमदन में अत्याधिक इजाफा होता है और जरूरत से ज्यादा टैक्स लगाए जाने पर गैर कानूनी काम बढ़ता है।