मोदी ने विवादित खेती कानूनों की समाप्ति के द्वारा हिंदु सिख भाईचारक सांझ के नये अध्याय की शुरूआत की: प्रो: सरचांद सिंह खियाला

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अमृतसर 22 नवंबर (राजिंदर धानिक  ):  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से विवादित खेती कानूनों को रद्द करने को देश और समाज के हित में लिया गया फ़ैसला करार देते फैडरेशन नेता प्रो: सरचांद सिंह खियाला ने किसानी आंदोलन दौरान किसानी और केंद्र सरकार दरमियान पड़ा विभाजन और पनप रही कड़वाहट ख़त्म करते हिंदु सिख भाईचारक सांझ को मज़बूती प्रदान करने प्रति नये अध्याय की शुरूआत करने का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि  मोदी ने किसानों के दुख दर्द, चिंता और मानसिकता को समझा है। उसकी दूर अन्देशी और संवेदनशील फ़ैसले का हरेक सहृदय मनुष्य ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की तरफ से खेती कानूनों को रद्द करने का ऐलान गुरपर्व मौके करके सिख भाईचारो की अहमीयत को कबूला गया है। जबकि कुछ धड़े किसान आंदोलन दौरान सखी सोच, सिख निशानें, फलसफे और भावनायों को दरकिनार करने के लिए कोशिश का ज़ोर लगा रही थीं, वहीं गुरू तेग़ बहादुर जी की तरफ से हिंदु धर्म की चौकीदारी के लिए दी गई शहादत के उदेश और सरोकारों की सारथिकता को समझे बगैर कुछ लोग तो विदेशी ताकतों की सह पर किसानी मोर्चे को सिख बनाम भारत सरकार और सिख बनाम हिंदु बनाने के लिए यतनशील हो कर राजनैतिक रोटियाँ सेकने में मसरूफ़ थे। उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की और सुरक्षा हिंदु सिख रिश्तों की मज़बूती और भाईचारक सांझ सदका ही संभव है। जिस की पहल कदमी अटल बिहारी वाजपायी और प्रकाश सिंह बादल की तरफ से राजनैतिक सांझ डाल कर की गई थी। बेशक आज अकाली दल इस मुहिम ’से पीछे हट चुका है। ऐसे हालात में भी  मोदी की तरफ से किसानी और सिख भाईचारे प्रति संजीदगी और संवेदनशीलता दिखाते विवादित खेती कानूनों को गुर पर्व मौके रद्द करते और सिख संगत की ज़ोरदार माँग पर श्री करतारपुर रास्ता फिर खोलते हिंदु सिखों में भाईचारक फुट डालने  और स्वार्थी हितों के लिए राजसी ज़मीन तराशण वालों के मंसूबों पर पानी फिराते ’’भविष्य की विपदा ’’ से भी मुक्त हुआ गया है। उसने सिक्ख हत्याकांड के दोषी कांग्रेसी नेता सजण कुमार समेत सैंकड़ों को सज़ाएं दिलाकर स्लाखों के पीछे भेजा। गुरू नानक देव जी के 550 साला प्रकाश शताबदी उत्साह के साथ मनाया गया और लंबे समय से जेलों में बंद सिख राजनैतिक कैदियों को छोड़ने का फ़ैसला किया। विदेशी सिखों की काली सूची ख़त्म की गई। श्री दरबार साहिब हरिमंदिर साहिब के गुरू के लंगर की जी एस टी समाप्त की गई। मोदी सरकार की तरफ से गुरू गोबिन्द सिंह जी का 350 वें प्रकाश पर्व और 2021 में, गुरू तेग़ बहादुर जी का 400वें प्रकाश पर्व भी कोविड पाबंदियों के बावजूद मनाया गया था।  मोदी ने दिल्ली के गुरुद्वारों का दौरा किया और आम लोगों के साथ मेल -मिलाप करने में रूचि दिखाई। हाल ही में अफगानिस्तान से सिखों को छुडवाया गया था और उनकी पवित्र धार्मिक ग्रंथों को भी सम्मान के साथ वापिस लाया गया था। अफगानी रफिऊज़ी सिखों को भारत की नागरिकता देने में पहल की गई। गुजरात के मुख्यमंत्री होते उन्होंने कछ के लखपत गुरूद्वारे की मुरम्मत में निजी रूचि ली, जो 2001 के भूचाल कारण तबाह हो गया था। उम्मीद है ऐतिहासिक कदम उठाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिख कौम को कभी भी निराश नहीं होने देंगे।

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