राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 20वीं शताब्दी के महामानव: प्रो. लाल

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शांतिपूर्ण, असहयोग आंदोलनों ने स्वतंत्रता को जन्म दिया
अमृतसर 2 अक्टूबर (पवित्र जोत) :  पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर और इतिहास के प्रो. दरबारी लाल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस पर राष्ट्र के प्रति उनकी महत्वपूर्ण सेवाओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि गांधी जी 20वीं शताब्दी के महा मानव थे, युग द्रश्र्टा और बेजोड़ स्वतंत्रता सेनानी थे। राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए उनकी यह पुख्ता राय थी कि कत्लोगारत या हिंसात्मक तरीके से स्वतंत्रता हासिल करना मुश्किल ही नहीं बल्कि एक नामुनिकन कार्य था। इसलिए इस महान राष्ट्र को अंग्रेजों से आजादी दिलवाने के लिए उन्होंने अहिंसा, असहयोग और सत्य का रास्ता अपनाया और उसी पल 1915 से लेकर 1947 तक वो मजबूती से खड़े रहे। भारत में आने से पहले उन्होंने दक्षिणी अफ्रीका में अहिंसात्मक तरीके से ब्रिटिश सरकार से लोगों को अधिकार दिलवाने के लिए मजबूर कर दिया। इस महान सफलता से विश्व भर में उनकी चर्चा होने लगी। भारत में आने के लिए उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले ने अनुरोध किया और वह 1915 में भारत में आ गए।
प्रो. लाल ने कहा कि गांधी जी एक महान चिंतक, दार्शनिक और सामाजिक समानता, स्वतंत्रता और विश्व-भाईचारे में विश्वास रखते थे। सादे ढंग से जीवन बसर करना और उच्चकोटि के विचारों के मालिक थे। उनकी राय थी शक्ति का उदय शारीरिक क्षमता से नहीं होता, बल्कि आत्मा की इच्छाशक्ति से होता है। दुर्भल कभी क्षमा नहीं कर सकता। बल्कि शक्तिशाली में ही क्षमा के गुण होते है। उनके संदेश के अनुसार सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है। उनके विचारों को अमेरिका के महान नेता माटर्न लूथर किंग ने काले, गौरे के भेदभाव को समाप्त करने के लिए अपनाया। दक्षणि अफ्रिका के नेता नैलसन मंडेला जो 26 वर्ष अंग्रेजों की जेल में रहा ने भी गांधी जी के अहिंसा और असहयोग आंदोलन की खुलकर प्रशंसा की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी का दर्शन आज भी समूचे विश्व के लिए अति लाभदायक और सार्थक है। आओ आज उनके जन्म दिन पर सब मिलकर संकल्प ले कि हम सभी धर्मों, जातियों के लोगों का सम्मान आदर करे और मानवता की सेवा ही ईश्वर की सच्ची बंदगी समझे और राष्ट्र के हितों को सर्वोपरी माने। इस अवसर पर पार्षद प्रदीप शर्मा, भगत प्रहलाद, अविनाश टोपी, ओम प्रकाश भाटिया, विपन मेहरा, नवदीप शर्मा, जनकराज लाली आदि मौजूद थे।

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