चंडीगढ़/अमृतसर, 30 जुलाई (पवित्र जोत ) : प्रदेश भाजपा महासचिव जीवन गुप्ता ने किसान यूनियन के सभी नेताओं से हठधर्मिता छोड़ केंद्र सरकार से सार्थक वार्ता करने की अपील की है। उन्होंने कहाकि किसान नेताओं को किसानों के भले के लिए एक अच्छा मसौदा तैयार करके केंद्र सरकार के सामने रखना चाहिए जिससे कि किसानों तथा पंजाब का फ़ायदा हो। उन्होंने कहाकि संविधान के जानकर भली-भांति जानते हैं कि संसद द्वारा पारित किए गए क़ानून रद्द करना असंभव है। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार से 12 बार किसान नेताओं की वार्ता हो चुकी है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने भी किसानों से किसी भी समय संपर्क करने के लिए संदेश दिया हुआ है।
जीवन गुप्ता ने कहाकि भाजपा सरकार ने किसानों के हितों के लिए बहुत कार्य किए हैं। आज सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ और विपक्षी दलों के बहकावे में आकर किसान केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारत सरकार नए पारित किए गए कृषि कानूनों में संशोधन करने के लिए किसान संगठनों से वार्ता के लिए किसी भी समय तैयार है। केंद्र सरकार ने किसानों को सम्मान निधि योजना के तहत 6000 रूपये वार्षिक सीधे उनके खातों में भेजी दी, नीम कोटिड यूरिया दिया, किसान क्रैडिट कार्ड दिए, फसल बिमा योजना दी, MSP को 1.5 प्रतिशत बढ़ाया, किसान को देश में कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है, DAP खाद में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी, किसानों की फसलों की सीधी अदायगी उनके खातों में भेजी, आज किसानों को MSP से ज्यादा कीमत मिल रही है। किसान अपनी फसल कहीं भी अपनी मर्जी से बेचने के लिए आज़ाद है। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार ने किसानों की फसल के अदायगी उनके खातों में सीधी करनी शुरू कर दी है जिसकी किसान बहुत समय से मांग कर आ रहे थे। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में धरना-प्रदर्शन करने का सभी को मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहाकि किसान नेता अगर बातचीत के लिए या संशोधन के लिए एक कदम आगे बढ़ेंगे तो भारत सरकार उनके लिए दो कदम आगे बढ़ेगी।
जीवन गुप्ता ने कहाकि पंजाब भाजपा को इस बात की बहुत चिंता है कि प्रदेश के किसान इतने लम्बे समय से धरने पर बैठे हैं। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार किसान का जीवन-स्तर ऊँचा उठाने तथा उन्हें आर्थिक दृष्टि से मज़बूत बनाने के लिए कार्य कर रही है। केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में संवाद से सभी समस्याओं का हल संभव है और किसान संगठनो के नेताओं को हठधर्मिता छोड़ संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए।