बीमारियों का बड़ा कारण कृषि रसायन: वैज्ञानिक

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गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी का बाहरी दृश्य।

अमृतसर, 23 जून (पवित्रजोत): हमारी कृषि प्रणाली में लगातार हो रहे रासायनों के प्रयोग पर एक बार फिर प्रश्न चिन्ह उभर आए हैं। कृषि में रसायनिक पदार्थों के प्रयोग के साथ मनुष्य को लग रही गंभीर बीमारियों और शरीरों के बदल रहे अंदरूनी जीनस सिस्टम सबंधी गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी के ह्यूमन जैनेटिक्स विभाग के वैज्ञानियों ने पंजाब की आबादी में जैनेटिक विभिन्नता, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के फैलाव का एक बड़ा कारण होने सबंधी खोज की है।
विभाग के प्रो. (डॉ.) ए.जे.एस. भंवर और डॉ. कंवलजीत कौर द्वारा की गई इस खोज में उन्हों ने “पंजाब के अलग-अलग इंडो-योरोपियन बोलने वाले समूहों में जैनेटिक भिन्नताओं के विस्तार बारे अपने अध्ययन में पंजाब के अलग-अलग अंतरव्याही समूहों में जैनेटिक नजदीकता को ज़ाहिर किया है।
विभाग के प्रो. वसुधा संभ्याल और डॉ. कमलेश गुलेरिया की तरफ से किए अध्ययन में हाईपौकस्या, ऐंजीओजीनेसिस, डीएनए रिपेयर और इनफलेमैटरी पाथवेज में शामिल 16 कैंसर जीनों में विरासत में आए 42 रूपों में “ब्रैस्ट एंड ओस्टैगल कैंसर” के बढ़ और कम जोखिम के साथ एक संगठन बारे बताया गया है।
“पिंजर प्रणाली पर व्यापक तौर पर इस्तेमाल किए जाते आर्गेनोफोसफेट पैस्टीसाईड कलोरीपाईरोफिस (सीपीएफ) के प्रभाव पर स्टेम सैलों” के प्रयोगात्मिक अध्ययनों से पता लगा है कि यहां तक कि ग़ैर-ज़हरीले तत्व भी सेलुलर कार्यों को बिगाड़ते हैं और हड्डियों की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। उत्तर भारतीय आबादी में पलीनी, सीडी, एडीएन और एडीपीओकि जीनस विरासती रूप हैं जो हड्डियों के बिगाड़ और गठिए के साथ जुड़े हुए थे। इन खोजों ने पंजाब की आबादी के विलक्षण जैनेटिक ढांचे और फोरेंसिक में इस का प्रयोग पर ध्यान भी दिलाया है।

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