अमृतसर 8 अक्टूबर (राजिंदर धानिक) -: जबकि पराली का प्रबंधन कई किसानों के लिए एक बड़ा संकट है, कई उद्यमी किसान ईंधन के लिए चीनी मिल के पास अपना पुआल बेचने के बाद लोगों को पराली किराए पर देकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। आज इस बारे में बात करते हुए कृषि अधिकारी सतविंदर बीर सिंह ने कहा कि सतियाला के एक किसान हरदीप सिंह ने पहले अपने खेत से एक रेक और बेलर मशीन लाकर बटर मिल को बेच दी थी और अब वह अन्य किसानों की पुआल की गांठें बनाकर उन्हें चीनी और गत्ता मिलों को बेच रहे थे।इस अवसर पर हरदीप सिंह ने कहा कि मैंने कृषि विभाग की मदद से इन उपकरणों को सब्सिडी पर लिया था और मैंने सोचा कि मेरे पराली को अकेले इकट्ठा करने से इन उपकरणों का पूरा उपयोग हो जाएगा।इसलिए अन्य किसानों का भूसा भी किराए पर लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए मैंने यह काम शुरू किया है और अब हम प्रत्येक किसान से पराली इकट्ठा करने और ले जाने के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये लेते हैं।उन्होंने कहा कि इस खर्च से हम पुआल की गांठें बनाएंगे और इसे बटर मिल को बेचेंगे और इसके साथ ही हम चार पैसे बचाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बार हमने अब तक गांठों में 400 एकड़ का भूसा बेचा है।इसके साथ, एक तरफ, हम कमा रहे हैं, दूसरी तरफ, किसान को पराली जलाने की आवश्यकता नहीं है, जो पर्यावरण और भूमि को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली को बचाने और अपने पंजाब को बचाने में इस तकनीक का उपयोग करें।