भकना खुर्द के मनदीप की 6 जुलाई को दुबई में हुई थी मौत
अमृतसर, 11 जुलाई (राजिन्द्र धानिक): खाड़ी देशों में काम करने वाले हर धर्म, नसल और जाति के लोगों के लिए मसीहा माने जाते दुबई के नामवर कारोबारी और सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक डा.एस.पी. सिंह ओबराय के विशेष प्रयासों की बदौलत गत रात्रि अमृतसर जिले के सीमावर्ती गांव भकना खुर्द के 23 वर्षीय नौजवान मनदीप सिंह पुत्र मंगल सिंह का शव वतन पहुंचा।
इस संबंधी जानकारी देते हुए मृतक के भाई गुरदेव सिंह, गुरजिंदर सिंह, अमरीक सिंह, मामा रणजीत सिंह के अलावा गांव के सरपंच सुखदेव सिंह ने बताया कि मनदीप सिंह अपने बेहतर भविष्य के सपने लेकर अभी छह महीने पहले ही दुबई गया था कि कुछ समय बाद ही कोरोना महामारी के साथ पैदा हुए हालात कारण मनदीप का काम बंद हो गया था और बेरोज़गार होने के कारण वह बहुत परेशान था, जिसके चलते अचानक बीती 6 जुलाई को उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि जब उनको मनदीप की मौत से परिवार पर टूटे कहर का पता लगा तो उन्होंने सरबत दा ट्रस्ट के स्थानीय पदाधिकारियों के द्वारा डा. ओबराए से संपर्क किया, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए डा. ओबराय की तरफ से मनदीप का शव देर रात दुबई से भेज दिया था, जिस का आज उसके पैतृक गांव भकना खुर्द में अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उन्होंने डा.एस.पी. सिंह ओबराए का इस बड़े प्रयास के लिए परिवार की तरफ से विशेष धन्यवाद करते कहा कि उनकी वजह से ही एक विधवा मां के नौजवान लाडले बेटे की अंतिम रस्मे वह अपने हाथों कर सकी हैं। इस दौरान ट्रस्ट के जिला प्रधान सुखजिन्दर सिंह हेर, माझा जोन के सलाहकार सुखदीप सिद्धू, जनरल सचिव मनप्रीत संधू, नवजीत सिंह घई, शिशपाल सिंह लाडी ने मनदीप सिंह के परिवार के साथ दुख सांझा करते बताया कि सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक डा. एस.पी. सिंह ओबराय की तरफ से खाड़ी देशों में काम करने वाले लोगों की हरेक मुश्किल घड़ी में बड़ी मदद की जाती है, जिसके अंतर्गत ही बीती रात डा. ओबराय ने अंतिम रस्मों के लिए मनदीप का शव दुबई से पंजाब भेजा है। उन्होंने यह भी बताया कि सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से अब तक अलग-अलग देशों से 178 बदनसीब लोगों के शव उनके वारिसों तक पहुंचाए जा चुके हैं और मृतकों के जरूरतमंद परिवारों को घर के गुजारे के लिए ट्रस्ट की तरफ से महीनेवार पेंशन भी दी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रस्ट की तरफ से आते 10 दिनों के अंदर 6 और बदनसीब नौजवानों के शव भी पंजाब भेजे जा रहे हैं, जिनकी सारी कागज़ी कार्रवाई मुकम्मल हो गई है। उल्लेखनीय है कि मनदीप का शव भारत भेजने में डा. ओबराय, निजी सचिव बलदीप सिंह चाहल और भारतीय दूतावास ने भी विशेष भूमिका निभाई है।