ज़मीन के कब्ज़े वाले काश्तकारों को ज़मीन का मालिकाना हक देने पर सरकारिया द्वारा मुख्यमंत्री का धन्यवाद
पंजाब कैबिनेट द्वारा कृषि सुधारों के हिस्से के तौर पर ख़ास श्रेणियों को मालिकाना हक देने के लिए बिल को मंज़ूरी
16 अक्टूबर: (राजिंदर धानिक) : पंजाब में कुछ ख़ास श्रेणियों के 11,231 व्यक्तियों, जिनके पास इस समय पर 4000 एकड़ के करीब निजी ज़मीनों का कब्ज़ा है, को सरकार द्वारा जल्द ही नोटीफाई किए जाने वाले ग्रेड्स के अनुसार बनते मुआवज़े की अदायगी के बाद मालिकाना अधिकार दिए जाएंगे। जि़क्रयोग्य है कि पंजाब में कृषि ज़मीनों के कब्ज़े वाली कुछ ख़ास श्रेणियों से सम्बन्धित व्यक्तियों को मालिकाना हक देने की कोशिश के तौर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब कैबिनेट ने बीते कल पंजाब भोंडेदार, बूटेमार, डोहलीदार, इनसार मियादी, मुकररीदार, मंढीमार, पनाह कदमी, सौंजीदार (मालिकाना अधिकारी देना) बिल, 2020 को मंज़ूरी दे दी है। इन श्रेणियों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज व्यक्तियों की ‘विशेष श्रेणियों’ के तौर पर मान्यता दी गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह का धन्यवाद करते हुए कैबिनेट मंत्री सुखबिन्दर सिंह सरकारिया ने कहा कि यह कदम ऐसी ज़मीनों के काश्तकारों को मालिकाना अधिकार देने के लिए कृषि सुधारों का हिस्सा है जो ज़्यादातर समाज के आर्थिक और सामाजिक तौर पर कमज़ोर वर्गों से सम्बन्धित हैं।
उन्होंने कहा कि यह काश्तकार कई सालों से ज़मीन के छोटे हिस्सों पर काबिज़ हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने अधिकारों के वारिस बनते हैं। उनके पास मालिकाना हक न होने के कारण वह न तो फ़सलीय कजऱ्ों के लिए वित्तीय संस्थाओं तक पहुँच कर सके और न ही उनको कोई आपदा राहत मिली। सरकारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस फ़ैसले से अब इन श्रेणियों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और वह अपनी ज़मीन के मालिक होंगे। उनको वह सभी सुविधाएं और मुआवज़े मिलेंगे जिसके ज़मीन मालिक हकदार होते हैं।
काबिलेगौर है कि पंजाब अकूपैंसी टेनैंट्स (मालिकाना अधिकार देना) एक्ट 1952 (1953 का एक्ट 8) और पैप्सू अकूपैंसी टेनैंट्स (वैस्टिंग ऑफ प्रोपराईटरी राइट्स) एक्ट, 1954 के अंतर्गत काश्तकारों को कब्ज़े वाली ज़मीन के मालिकाना हक देने के समय यह श्रेणियां वंचित रह गई थीं।
यहाँ यह भी गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने आधुनिक कृषि और ग़ैर-कृषि अभ्यासों के अनुसार भूमि प्रबंधन से सम्बन्धित मौजूदा कानूनों, नियमों और प्रक्रियाओं को पारदर्शी, सरल और लोक-समर्थकीय बनाने के लिए राजस्व आयोग की स्थापना भी की गई है।