पंजाब सरकार के भ्रष्ट नेताओं ने किसानों की जमीन के रेट कम करवाने की रची साजिश: बिक्रमजीत चीमा
भाजपा किसान मोर्चा की एक दिवसीय प्रदेश कार्यकारिणी चंडीगढ़ में हुई संपन्न।
चंडीगढ़/ अमृतसर: 13 अक्तूबर (पवित्र जोत): भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा, पंजाब की एक दिवसीय प्रदेश कार्यकारिणी बैठक भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बिक्रमजीत सिंह चीमा की अध्यक्षता में भाजपा मुख्यालय सैक्टर 37-A चंडीगढ़ में संपन्न हुई। इस कार्यकारिणी में किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद राज कुमार चाहर विशेष रूप से उपस्थित हुए। कार्यकारिणी में पहुँचने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत प्रदेश अध्यक्ष बिक्रमजीत सिंह चीमा ने अपने पदाधिकारियों सहित दोशाले व पुष्प-गुच्छ के साथ किया। इस कार्यकारिणी का शुभारंभ दीप प्रज्वल्लित कर किया गया। इस अवसर पर उनके साथ संगठन महामंत्री दिनेश कुमार, किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा पंजाब प्रभारी मुकेश मान, किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव अवतार सिंह मंड, प्रदेश भाजपा महासचिव डॉ. सुभाष शर्मा, किसान मोर्चा के महासचिव मनिंदर सिंह कपियाल, युवराज सिंह कटोरा, भाजपा के सीनियर नेता राजिंदर मोहन सिंह छीना तथा बीबी राजिंदर कौर बाठ आदि उपस्थित थे।
राज कुमार चाहर ने इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा संशोधित किए गए कृषि कानून गोल्डन कानून हैं, क्यूंकि इसके जरिये देश के छोटे किसानों को छोटे-छोटे समूहों में संगठित कर उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से बिना ब्याज सहायता राशि उपलब्ध करवा कर उन्हें अपनी फसल को अपने पास की मंडी से लेकर देश के किसी भी हिस्से में अपनी मर्जी की कीमत पर किसी को भी बेचने की आज़ादी प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा किसानों में भ्रम फैला कर किसान आन्दोलन को खड़ा किया गया और इसमें सबसे पहले MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तथा मंडीकरण तथा ऐ.पी.एम्.सी. को यथावत रखने की माँग उठाई गई जिसे केंद्र सरकार द्वारा बार-बार यथावत रखने की बात कही गई और इस बारे में लिख कर देने की भी बात कही गई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा MSP को अब तक कई बार बढ़ाया जा चुका है और बाकि सब भी यथावत है। उन्होंने कहा कि यह किसान आन्दोलन पंजाब में होना चाहिए था, क्यूंकि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने किसानों के 90,000 हजार करोड़ के कर्ज माफ़ करने का वायदा किया था, लेकिन वो कर्ज़ा माफ़ नहीं किया। उन्होंने कहा कि किसानों को अब विपक्ष तथा समाज विरोधी तत्वों द्वारा राजनीतिक स्वार्थों के चलते आन्दोलन को खत्म नहीं होने दिया जा रहा है और शांति और भाईचारक माहौल को आग लगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान मोर्चे के नेताओं को पाँच सदसीय टीम बना कर बैठक का न्यौता दिया है, लेकिन अभी तक किसान मोर्चे में आपसी सहमती ना बनने के चलते उनकी पाँच मेंबरी टीम नहीं बन सकी। उन्होंने किसान नेताओं से आह्वान किया कि वो केंद्र सरकार से बातचीत कर अपनी मांगों के हल के लिए कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करें।
बिक्रमजीत सिंह चीमा ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष किसानों को दरपेश आ रही मुश्किलों को उठाते हुए कहा कि जिन किसानों की जमीन सड़क विस्तार के अधीन सड़कों में आ रही है उन्हें उनकी जमीन के बहुत कम रेट दिए जा रहे हैं, जिसके चलते किसान अपनी जमीन सरकार को देने से मना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों व नेताओं ने अपने दो नम्बर के पैसे को इन्वेस्ट करने के लिए पंजाब के कॉलोनाज़रों के साथ मिल कर कलेक्ट्रेट दाम पर जमीनों के बाव घटा दिए हैं, जिससे किसानों को बहुत भारी नुक्सान हुआ है। उन्होंने कहा कि आज देश में हर चीज़ के दाम बड़े हैं, लेकिन पंजाब में जमीनों के दाम पिछले साढ़े चार साल में चार बार कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिस जमीन का कलेक्ट्रेट दाम 20 लख रूपये था, उसे 5 से लेकर 10 लाख रूपये तक लाया गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा रजिस्ट्री के रेट कम कर किसानों के साथ धोखा किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा के नेतृत्व में यह मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाया गया है और केंद्र सरकार द्वारा इस मामले को जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया गया है।