अमृतसर, 8 जून (पवित्रजोत): गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी और विज्ञान व वातावरण केंद्र, नई दिल्ली की तरफ से शिक्षा अदारों की पर्यावरण बचाव सबंधी विशेष भूमिका बारे वैबीनार का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञों का विचार था कि बदल रहे वातावरण, निरंतर निकास, पानी और ऊर्जा के संकट और बढ रही बीमारियों जैसे कि महामारी कोविड-19 आदि से हमें पता लगता है कि जिस वातावरण में हम रह रहे हैं, उसका तेज़ी के साथ पतन हो रहा है। साल 2030 विकास लक्ष्यों अधीन वातावरण की गिरावट को रोकने के लिए भारत कोशिश कर रहा है। सैंटर फार सस्टेनेबल हैबीटैट द्वारा नैक, बैंगलोर के दिशा निर्देशों अनुसार यूनिवर्सिटी, कालेजों, सार्वजनिक क्षेत्र के पेशेवरों और उत्तरी भारत के लिए वातावरण दिवस को समर्पित वैबीनार का आयोजन किया गया जिसमें 200 के करीब प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. जसपाल सिंह संधू अध्यक्षता में करवाए वैबीनार का उद्देश्य वातावरण और कुदरती स्त्रोतों प्रति उठाए जाते कदमों में शैक्षिक अदारों के योगदान बारे चर्चा करना था।
इंटरनल क्वालिटी अशोरैंस सैल के डायरैक्टर और सैंटर फार सस्टेनेबल हैबीटेट के कनवीनर प्रो. अश्वनी लूथरा ने वैबीनार में शामिल किये गए मुख्य मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए वैबीनार बारे जानकारी दी। डीन, अकादमिक मामले और वैबीनार के चेयरप्रसन प्रो. सरबजोत सिंह बहल ने प्रमुख स्पीकर रजनीश सरीन, प्रोग्राम डायरैक्टर, सस्टेबल बिल्डिंग्ज एंड हैबीटैट, सीएसई और वैबीनार के भागीदारों का स्वागत करते यूनिवर्सिटी में वातावरण पहल कदमियों बारे बताया।
प्रो. सरबजोत सिंह बहल ने कहा कि यूनिवर्सिटी में वातावरण को हरा भरा और ख़ुशगवार बनाने के लिए आईं कठिनाईयों और इनके समाधान बारे बताया।
रजनीश सरीन ने अलग-अलग यूनिवर्सिटियों और उच्च शिक्षा अदारों की तरफ से वातावरण संबंधी किये प्रयासों बारे जानकारी दी। इस मौके सवाल जवाब सैशन में सी.एस.ई. से मिताशी ने अपना योगदान पाया। समाप्ति समारोह मौके डा. लुथरा ने सब का धन्यवाद किया।