गुरू नानक केवल सिखों के नहीं बल्कि पूरी मानवता के सर्व सांझे गुरू: हारून खालिद

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जी.एन.डी.यू. द्वारा गुरू नानक देव जी के 551वें प्रकाश पर्व पर अंतर्राष्ट्रीय भाषणों का आयोजन

अमृतसर, 24 जून (आकाशमीत): गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग और श्री गुरु ग्रंथ साहिब अध्ययन केंद्र द्वारा श्री गुरु नानक देव जी की 551वें प्रकाश पर्व सबंधी अंतर्राष्ट्रीय आनलाइन भाषणों की श्रृंखला की शुरुआत वाइस चांसलर प्रो. जसपाल सिंह संधू की अध्यक्षता में की गई है जिस अधीन अमरीका और पाकिस्तान से विद्वानों ने भाग लिया।
इस श्रृंखला के अंतर्गत ‘बाबा नानक और भक्ति लहर’ विषय पर पहला भाषण सिख स्टड्डीज़ के विद्वान प्रो. गुरिन्दर सिंह मान ने दिया। प्रो. मान की प्राथमिक दलील यह थी कि हमें श्री गुरु नानक देव जी को संत परंपरा के अधीन नहीं देखना चाहिए। उन्होंने केवल तपस्या भरे जीवन की वकालत न करते हुए घरवास वाली ज़िंदगी में जीवन बसर करने और प्रभु भक्ति करने का उपदेश किया। प्रो. मान अमरीका की यूनिवर्सिटी आफ कैलेफोर्निया सैट बार्बरा के पूर्व प्रोफ़ैसर हैं। इस समय वह न्यूयार्क में स्थित ग्लोबल इंस्टीट्यूट आफ सिख स्टड्डीज़ के डायरैक्टर हैं। वह गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी के पहले समूह के पूर्व विद्यार्थी हैं।
इस श्रृंखला का दूसरा भाषण पाकिस्तान के मानव-विज्ञानी हारून खालिद द्वारा दिया गया। वह एक यात्रा लेखक और स्वतंत्र पत्रकार हैं। हारून खालिद पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर काम कर रहे हैं। वह “वॉकिंग विद नानक” पुस्तक के लेखक हैं और उन्होंने अपने भाषण में पाकिस्तान में गुरू नानक देव जी की विरासत बारे विचार पेश किये। उन्होने कहा कि श्री गुरु नानक देव और उनका संदेश सारी दुनिया के लिए सांझा है और गुरू साहिब को केवल सिखों के गुरू के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होने कहा कि जैसे दुनिया में गुरू नानक देव जी को मानने वाला अपने ढंग के साथ गुरू जी की उपमा और पूजा करता है उसी तरह पाकिस्तान में भी श्री गुरु नानक देव जी की बंदगी और पूजा पाठ करने वालों का ढंग अपना ही है।
इतिहास विभाग के प्रमुख प्रो. अमनदीप बल्ल ने प्रवक्ताओं की जान-पहचान कराई और उनका स्वागत किया और श्री गुरु ग्रंथ साहिब अध्ययन केंद्र के डायरैक्टर प्रो. अमरजीत सिंह ने आए मेहमानों का धन्यवाद किया। डा. हरनीत कौर, सहायक प्रोफ़ैसर ने सवाल जवाब सैशन का संचालन किया।

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